pregnancy

गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त पोषण अत्यंत जरुरी होता है। माँ और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। जब भूर्ण तेजी से बढ़ रहा हो और महिला भारी और बोझ वाला काम कर रही हो तो उस समय यह नुकसानदायक हो सकता है, तो ज्यादा तनाव व भारी- बोझ वाले काम से बचे। असवस्थ भोजन से भी कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं, तो उसका भी ध्यान रखना बहोत जरुरी होता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर को काफी मात्रा में पोस्टिक आहार की जरुरत होती है तो गर्भवती महिलओं को पहले से तैयार रहना चाहिए और अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, जिससे बच्चे के विकास के समय किसी प्रकार से पौष्टिक भोजन की कमी से होने वाले दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यदि मां के शरीर में पोषण अपर्याप्त है, तो उसके शरीर में जो भंडार (Reserve ) होता है शरीर उसको बढ़ते हुए बच्चे की पोषक मांगों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करता है जिससे शरीर के पोषक भंडार समाप्त होने लगते हैं और शरीर में कमजोरी आने लग जाती है।

प्रेगनेंसी में पहले 3  महीने में औसत 1.5 किलो तक वजन बढ़ता है और उसके बाद हर  महीने 1.5 वजन बढ़ने लगता है , लगभग 10 से 14 किलो तक वजन बढ़ता है।  इसी प्रकार वजन बढ़ने के साथ शरीर में विटामिन, नुट्रिशन, मिनरल की भी आवश्कता बढ़ जाती है।

40-सप्ताह की गर्भावधि के दौरान, बढ़ता हुआ बच्चा लगभग 400 ग्राम प्रोटीन, 475 ग्राम वसा और 250 ग्राम पानी, खनिज और अन्य पोषक तत्वों से युक्त होता है। ये पोषक तत्व मां से प्लेसेंटा के जरिए आते हैं। उपर्युक्त बढ़ी हुई पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, एक गर्भवती महिला को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की उसकी अपनी पोषण संबंधी ज़रूरतों के साथ-साथ उसके बढ़ते बच्चे की पोषण की जरुरत भी पूरी हो, इसके लिए उसको विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। इसके लिए जरुरी नहीं आप आपने खाने का पूरा तरीका बदल दे, लेकिन पोषकयुक्त भोजन अवस्य ले।

प्रेगनेंसी ध्यान रखने वाली आवश्यक जानकारी

  • सोने से पहले : आपके बेड की दिशा प्रयाप्त हवादार होना चाहिए व बेड के आस पास में पानी व खाने के कुछ सामान होना चाहिए जहा आसानी से पंहुचा जा सके।
  • सुबह उठते ही : ड्राई सीरियल्स, ब्रेड जैम खाये अथवा बटर का इस्तेमाल न करें
  • जिसको अंडा पसंद है तो प्रेगनेंसी में बहुत ही लाभदायक होती इसको खाने से बच्चा होने के बाद के जो साइड इफेक्ट्स होते हैं उनसे भी बचा जा सकता है
  • बेड से धीरे-धीरे उठे पूरा समय लगा के अचानक उठने-बैठने से परहेज करें
  • उलटी आने पर कम-कम मात्रा में खाये एक साथ अधिक भोजन न करे
  • तरल पदार्थ हलकी हलकी सिप में ले
  • कब्ज की समस्या आम होती है प्रेगनेंसी में इसलिए खूब सारा पानी पिए और फाइबर से भरपूर भोजन (जैसे : फल, सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, दाल) ले जिससे कब्ज की समस्या कम होगी।
  • रेगुलर धीरे धीरे टहले उससे मूड भी ठीक रहेगा और थोड़ा सा एक्सरसाइज भी होगी। हैवी एक्सरसाइज न करे।
  • हलके और ढीले कपडे पहने और खाने के बाद बेड पे बिना तकिये के न लेटे एक दो तकियों को मिला के सर को ऊपर रखे
  • अगर आप किसी प्रकार का भी कोई ड्रग, ड्रिंक करते हो तो तुरंत बंद कर दें इससे आपके होने वाले बच्चे को नुकसान हो सकता है
  • बहुत सारे नुट्रिशन की मेडिसिन का इस्तेमाल न करे ये भी हानिकारक होती हैं।  पोषक भोजन खाये और डॉ के द्वारा दी गयी विटामिन्स के अलावा कोई नुट्रिशन से रिलेटेड मेडिसिन न ले

प्रेगनेंसी के दौरान खाये जाने वाले आहार

  • प्रेगनेंसी में रूटीन के हिसाब से जो भी साधारण खाना हम लेते है वो सभी खा सकते हैं कुछ एक को छोड़ के जो आगे बताये भी है हमने इस लेख में
  • दाल के सेवन करना है इसमे प्रोटीन की मात्रा अत्यधिक होती है।
  • दही और कम वसा वाला दूध का भी सेवन करना है इसमें कैल्शियम के भरपूर मात्रा होती हैं।
  • मांसाहारी लोग मछली ले सकते हैं इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होते है जो हमारे शरीर के लिए अति-आवश्यक है
  • ड्राई फ्रूट्स जैसे अखरोट, बादाम (कम मात्रा में ), मूंगफली, काजू , किसमिस इत्यादि 
  • सब्जियों, फल और सलाद में  गाजर, लाल शिमला मिर्च, आम, केला, पत्ता गोभी, आलू , सकरकंद, हरी सब्जिया, संतरे का रस
  • अगर  आप अंडे  खाते हो तो ये  बेहतर होगा आप एक एक दिन के अंतराल में एक दो अंडे ले इससे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों की कमी नहीं होगी और होने वाला शिशु भी हैल्थी होगा।
  • पानी का नियमित अधिक से अधिक इस्तेमाल करे जिससे आपका शरीर पुरे दिन स्वस्थ रहेगा।

गर्भवती महिला के लिए संतुलित आहार (NIN-1998)

खाने के समूहग्राम में मात्रा
अनाज और बाजरा30
दाल30
दूध100 ml
जड़ें और कंद100
हरे पत्ते वाली सब्जियां100
अन्य सब्जियां100
फल100
चीनी5
वसा और तेल5

प्रेग्नेंसी में क्या नहीं खाना

फैट्स, फ्राइड फूड्स ,प्याज, लहसुन, मिर्ची और मसालेदार खाना खाने से बचे,  और जिनसे गैस बनती हो वो भोजन भी न खाये और कच्चे फल यानि की जो हरे होते हैं पूरी तरह से पके नहीं होते जैसे पपीता, आम, अन्नास, इत्यादि

आयरन (Iron) की जरुरत

गर्भावस्था के दौरान, दोनों में हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए आयरन की आवश्यकता होती है | इसलिए एक शाकाहारी महिला को आयरन के अच्छे स्रोत यानी हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ऐमारैंथ के पत्ते, पुदीना, पालक, सहजन, हरा धनिया, मूली और गाजर के पत्ते, गुड़, खजूर और तिल का सेवन करना चाहिए। और मांसाहारी लोग आयरन मांस, कुक्कुट और मछली जैसे पशु स्रोतों से आसानी से अवशोषित कर सकते हैं  ।

जस्ता (Zinc)

जस्ता वृद्धि और विकास करने के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है। एक गर्भवती महिला के आहार में अतिरिक्त प्रोटीन खाद्य पदार्थ जस्ता की अधिकांश आपूर्ति पूरी करता हैं  क्योंकि मांस, मुर्गी, सूखी फलियाँ, अंडे और दूध इस खनिज के अच्छे स्रोत हैं।

आयोडीन (Iodine)

थायराइड हार्मोन उत्पादन के लिए पर्याप्त आयोडीन महत्वपूर्ण है, जो गर्भावस्था और प्रारंभिक बचपन के दौरान सामान्य न्यूरोडेवलपमेंट (दिमाग विकसित) के लिए आवश्यक है। गर्भावस्था में 200 माइक्रोग्राम आयोडीन प्रतिदिन लेना जरुरी होता है। और साथ साथ इन सब की भी जरुरत होती है, विटामिन थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन और पाइरिडोक्सिन, फोलेट। रूटीन चेकउप में ये सब मेडिसिन भी हॉस्पिटल द्वारा दिए जाते हैं।

By Rishi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *